Buxar Fort History: बिहार का बक्सर ज़िला अपने पौराणिक एवम ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। बक्सर ज़िले के नामकरण के पीछे एक जनश्रुति है। ऐसी मान्यता है कि महर्षि दुर्वासा एक बार किसी कारण से ऋषि वृशिरा से क्रोधित हो गए। उन्होंने ग़ुस्से में उनके मुख को बाघ की तरह होने का शाप दे दिया। बाद में आवेग शांत होने पर उन्हें एक सरोवर में स्नान करने की आज्ञा दी। स्नान के बाद ऋषि वृशिरा का मुख पूर्ववत हो गया, इस कारण उनका नया नाम व्याघसार हुआ जो अपभ्रंश में बदलकर बक्सर हो गया।
बक्सर ज़िले का चौसा नामक स्थान ऐतिहासिक स्थल है, जिसने भारतीय राजनीति को बदलकर रख दिया। 26 जून 1539 को चौसा में ही मुग़ल सम्राट हुमायूं एवम अफ़गान सरदार शेरशाह सूरी के बीच भयानक युद्ध हुआ, जिसमें हुमायूं को शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा। हुमायूं किसी तरह प्राण बचाकर भाग निकला। उसके प्राण बचाने में एक भिश्ती ( पानी भरने वाला ) ने मदद की, उसने अपने चषक ( चमड़े की थैली, जिसमें जल संग्रह किया जाता था ) में छुपाकर हुमायूं को चौसा से बाहर निकाला। बाद में हुमायूं ने उसके प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हुए उस भिश्ती को एक दिन का बादशाह बना दिया।

इसी युध्द में विजय के उपरांत शेर खां ने शेरशाह की उपाधि धारण की। इस युद्ध के अतिरिक्त अक्टूबर ( 22/23 ) 1764 को भी बक्सर में ईस्ट इंडिया कम्पनी एवम मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय अवध के नवाब शुजादौल्ला एवम बंगाल के नवाब मीर कासिम के बीच भी एक भीषण संघर्ष में संयुक्त सेनाओं को हराकर अंग्रेज़ों ने बक्सर जीत लिया और सम्पूर्ण बंगाल, जिसमें वर्तमान बांग्लादेश भी शामिल है कि अतिरिक्त उड़ीसा, झारखंड, बिहार पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। ये एक बहुत बड़ी घटना थी जिसने भारतीय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को बदल दिया।
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Buxar Fort History
अगर हम धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो मान्यता है कि बक्सर में ही महर्षि विश्वामित्र का आश्रम था और प्रभु राम एवम लक्ष्मण की प्रारंभिक शिक्षा यहीं हुई थी। श्रीराम ने ताड़का वध यहीं किया था। कुल मिलाकर देखें तो बक्सर एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। उपरोक्त जानकारियों के बाद आज हम बक्सर के ऐतिहासिक किले के बारे में बताते हैं।
बक्सर का क़िला अपने ऐतिहासिक और धार्मिक कारणों से भी प्रसिद्ध है।

इस प्रसिद्ध क़िले (Buxar Fort History) का निर्माण सन 1111 में राजा भोजदेव के द्वारा करवाया गया था। राजा भोज के बारे में अनेक किवदंतियां हैं कि वो अत्यंत दयालु एवम न्याय प्रिय थे। बक्सर पर बाद के वर्षों में जिसका भी शासन रहा, उसने इस क़िले का अपने हितों के लिए इस्तेमाल अवश्य किया। वर्तमान में क़िले की स्थिति दयनीय है। गंगा नदी के कटाव एवम उपेक्षा के चलते क़िले की दीवारें ढह रही हैं एवम इसमें जंगली पेड़- पौधे उग आए हैं।
अगर इस क़िले की मरम्मत की जाए एवम उपरोक्त तथ्यों से सम्बंधित म्यूज़ियम बनाया जाए तो बक्सर एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
इससे लोगों को भी अपने इतिहास को जानने का अवसर मिलेगा एवम सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी।
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प्रणव कर्ण ‘ स्वनिल ‘